Saakhi- Krishna Roop
|यह घटना 1967 की है । पंडित हरबंस लाल जो भगत सावन सिंह जी के अमृतसर से मित्र थे , वे अपने मन्दिर के लिऐ मुर्तियां लेने जयपुर आते थे। जयपुर दरबार में पंडित् जी ऐसा कीर्तन करते की रस ही रस और आंसू आ जाते थे। पंडित् जी सत्संग के बाद हाल कमरे से बाहर जहां संगत के जोडे रखे होते हैं वहाँ पर भी कीर्तन करते और नाचते ।
एक बार जयपुर की संगत् ने खुश होकर विनती की कि आप कृष्ण की मूर्ति के आगे तो नाचते कीर्तन करते है, एक बार जबलपुर चलकर हमारे बेदी नगर के कृष्ण ( परम पूज्य हुजुर जी )के सामने भी करें । पंडित जी बोले कि आप अरदास करो कि मुझ पर भी दर्शन की किरपा हो जाए।
हजूर जी के जन्म दिन पर जाने का समय आया। पंडित जी और उनकी पत्नी ट्रेन से जबलपुर को रवाना हो गए ।ट्रेन में जब वे जलंधर पहुंचे तो उनकी पत्नी को सपना आया कि वैष्णो माता ने उन्हें सोने की चुडी दी है। जबलपुर पहुंच कर देखा तो दरबार लगा हुआ था ।पंडित जी ने हुजूर जी , माता जी एवं संगत के सामने कीर्तन किया और खुश होकर माता जी ने सोने की चूडी अपने हाथ से उतार कर पंडित् जी को दी । हजूर जी ने पंडित् जी से फ़रमाया ” ये मेरी फकीरी का पहला नमूना है।मैं दुनिया का साधु नही हूँ । हुजूर जी किरपा के घर में आये और वचन किया कि तुम्हारी पालना अब कृष्ण ने अपने हाथों में ले ली है।ये दुनिया देखेगी ये भगवान् कृष्ण ही तुम्हें वचन कर रहा है।
रात को दीवन लगा। उस समय पंडित् जी की पत्नी ने ये भजन गाया –
लगन तुम से लगा बैठे जो होगा देखा जायेगा!
तुम्हे अपना बना बैठे जो होगा देखा जायेगा !!
कभी दुनिया से डरते थे
छुप के याद करते थे !!
शर्म अब बेच खा बैठे
जो होगा देखा जायेगा !!
संगत और हजूर जी झूम रहे थे। मौज में आकर हुजूर जी ने ये वचन् किया ” अब से तू दान लेकर खाने वाली नहीं ब्लकि दान देने वाली बन जाओगी। “
विदा होकर जब पंडित जी और उनकी पत्नी वापिस जब अपने घर पहुंचे तब पंडित् जी को कोई थाईलैंड के मन्दिर के सेवा के लिये ले गया।
जयपुर की संगत से केशव जी ने अमृतसर जा कर देखा कि उन पंडित् जी पर हजूर जी की असीम किरपा हो गई थी। टीन की छत की जगह पक्का घर था । उनकी पांच लडकियां थीं। सब की शादी हो गई थी, और वे स्वयं लाखों में थे।
सुदामा पर कृष्ण की किरपा हो चुकी थी।
जय सिया राम जी।
One Comment
Baba ji jaise koi nahi ha me data ki kripa sab par rahe